आह्वान - एक बेटी का...
0Aahwan Ek Beti ka : This touching hindi poem is a request from a daughter to mother to save her from the cruel society. This poem describe the pain suffers by mother to birth a girl child. Today's society give importance to boy over girl.
माँ, कितना खूबसूरत दिन था ना वो,
जब मैं पहली बार तेरी गोद मे रोई थी,
मेरी एक मुस्कान को देखने,
तू कई रात ना सोई थी,
मुझे लाने इस दुनिया में,
ना जाने कितने दर्द तूने सहे थे,
ना जाने इस दोहरी मानसिकता वाले समाज ने,
तुझ पर कितने जुल्म ढहे थे,
माँ, ये जो हसी का मुखोटा पहने,
में तेरे आंगन में खेल रही हूं,
अंदर ही अंदर ना जाने,
कितनी वेदना झेल रही हूं,
कभी तीखे शब्दों का प्रहार मुझ पर,
तो कभी मानसिक अत्याचार मुझ पर,
कभी बंधी हुई हूं लाचारी की बेड़ियो से,
तो कभी लड़ रही दरिंदगी के भेड़ियो से,
क्यों भूल जाता है स्त्री का त्याग ये समाज,
क्यों नही सुनाई देती है इन्हें हमारी आवाज़,
माँ, जुदा ना करना तेरे दामन से मुझे,
मैं अभिमान तेरा बनके दिखाऊंगी,
एक बेटी के हौसलों की कहानियों का,
मैं नया इतिहास कोई बन जाऊंगी।
Very nice poem.