आज फिर तुम याद आये
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वो दिन वो लम्हे गुजरते गये
हम जिंदगी के साथ जीते गये
कभी याद करता हूँ वो बीते पल
तो लगता है कि वो अलविदा हो गये
फुर्सत मिल जाये तो हो आऊं उस गली
जहां पर हम रात दिन यूँ ही गुजारते गये
हमे पता है कि उस गली का दीदार नहीं होगा
पर क्या करूं दिल थाम के बस सोंचते रहे
वो थे वहां तब हम जाते थे
देखकर उनको थम जाते थे
अब लगता है ऐसा की वो गुम हो गया
करके मुझे तन्हा खुद अलविदा हो गया
मैं पहुंचा था कल उनकी गलियों में
तो पता चला वो कल ही रुख्सत हो गया
वो गैर का नहीं हुआ यारों
पर खुदा का होकर जुदा हो गया।