आपके पहलू में जाने को जी चाहता है
0आपके पहलू में जाने को जी चाहता है
******************************By Parmanand kumar
ये दिल भी अजीब दर्दगाह है
जहाँ असीमित दर्द है, पर
दवा की दवाखाना है कहाँ ?
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इस दर्द की मर्ज़ की खोज में
खुद को भूल जाता है
सपने _सजते_ सजाते
चैन वैन खो लेता है
फिर, नींद है कहाँ ?
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ये दोस्ती भी अजीब दोष ती है
जिसके पहलू में जाने को
जी चाहता है, पर है वो
पहलू कहाँ ?
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गम भी मिलते हैं,
शिकवे भी कम नहीं
खुशियाँ इतनी की
बांध सकते नहीं
किसी पोटरी में...
फिर उन खुशियों को रखूँ
संभालकर कहाँ?
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