अक्सर ऐसा होता है
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अक्सर ऐसा होता है, तुम मुझसे रुठ जाती हो ।
दिल की बातें कहते-कहते, दिल को छेड़ जाती हो ।
दिल तो इसमें तेरा है, फिर क्यों इसको तड़पाती हो ।।
अक्सर ऐसा होता है, तुम मुझसे रुठ जाती हो ।
दूर रहकर तुम तो, ऑंखों से प्यार करती हो ।
पास आकर तुम, कुछ खोई-खोई रहती हो ।
जब प्यार करती हो मुझसे, फिर क्यों घबराई रहती हो ।।
अक्सर ऐसा होता है, तुम मुझसे रुठ जाती हो ।
पास तो तुम मेरे, हर पल रहना चाहती हो ।
पर पास आते ही तुम, जाने की बात कहती हो ।
जब प्यार करती हो मुझसे, फिर क्यों दुनिया से डरती हो ।।
अक्सर ऐसा होता है, तुम मुझसे रुठ जाती हो ।
दिल से तुम मेरा, जीवनसंगिनी बनाना चाहती हो ।
मुझे भी प्यार है तुमसे, इससे भी अनजान बनती हो ।
सब जान कर भी तुम, कब तक इनकार करना चाहती हो।।
अक्सर ऐसा होता है, तुम मुझसे रुठ जाती हो ।
रचयिता: डॉ. रवि भूषण सिन्हा, रॉंची, झारखंड ।
