अल्लम बल्लम बम बम बो
0
अल्लम बल्लम बम बम बो
(बाल कविता)
सुशील शर्मा
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
बंदर मामा क्यों रोते हो।
मामी के कपड़े धोते हो।
बंदर मामी घुड़क रही है।
मुर्गी दाने कुड़क रही है।
मामा तुम मामी से बचलो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
हाथी दादा बड़े सयाने।
पर चींटी पर खिसियाने।
गन्ने पर बैठी है चींटी।
हाथी को मारे वो सीटी।
उन्हें देख तुम भी तो हँस लो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
मछली रानी फिरकी मारे।
पानी में से करे इशारे।
पास बुला कर वो भग जाती।
दूर से फिर वो हमें बुलाती।
मछली कुछ कहती है सुनलो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
पप्पू, सुन्नु, मुन्नू, दुर्गा।
हम सब पीछे बने है मुर्गा।
होम वर्क न करके लाये।
मैडम ने मुक्के बरसाए।
बेटा जी अब तुम सब पढ़ लो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।
जय गणतंत्र दिवस अब आया।
हम सबके मन को ये भाया।
रहे स्वच्छ हम सबका देश।
बापू जी का है सन्देश।
आज प्रतिज्ञा ये सब करलो।
अल्लम बल्लम बम बम बो।
अस्सी नब्बे पूरे सौ।