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लोकगीत में भी दुल्ला BBhatti की प्रशंसा की गई है
परन्तु इस गीत में दुल्ला मही को बाबा कह कर
सम्बोधित किया गया है ।
लोक गीत कुछ इस प्रकार से है :
अम्मीयाँ बई अम्मीयाँ,
भीं पये ते कणका जमींया,
कणका वीच बटेरे,
दो साधु दे, दो मेरे,
जीथे बाबा मारया,
उच्चा कोट सवाराया,
उच्चे कोट दियाँ, दो मोरियाँ,
जीवण बाबे दियाँ घोड़ियाँ,
घोड़ी उत्ते काठी,
जीवे बाबे दा हाथी,
हाथी पैरी जुत्ती,
जीवे बाबे दी कुत्ती,
कुत्ती दे कुत्तुरे
असी सारे मुंडे पूरे
असी सारे मुंडे पूरे
डा0 सुकर्मा थरेजा,
क्राइस्ट चर्च कालेज
कानपुर