अमृत कलश
0मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है, आई
मां तूने मुझें सीने से नही लगाई, और न ही अमृत जैसा दूध है नही पिलाई |
धनय है ,वे मातायें जिनहोनें मुझें असपताल है पहुचाई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
यहॉ मुझें एक नही बलिक कई माताएं है, मिल पाई
और ऊनका दूध है पीकर मैं बडी़ हो पाई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
मां के दूध के ताकत से मैं संक्रमण से लड़ आई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
मां मेरी दिल के अंदर से यही पुकार कयो मां आऐसा कयो कर आई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
मां मेने तो पल भर भी तुमहारे साथ न रह पाई और मैं हो गई पराई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
धनय है ,ऐसी माताएं जिनहोनें मुझें ममता भरी दूध है ,पिलाई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
मां मैं तो बचपन से ही कमजोर हूं आई कयो नही है ,मुझें
इमयूनोगलोबिन वाली दूध है , मुझें पिलाई |
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है, आई
कयो नही मुझें इस भयानक हरे दसत से हैं बचाई |
मां मुझमें कयो नही परतिरोधक छमता है ,बनाई
मां तूने जनम देकर मुझें सीवेज टैंक में कयो फेंक है,आई |
© २०१९ मनोज पूसाम
Dedicated to
माताओं को
Dedication Summary
ऊन माताओं को जो आएसा करती |