अर्थव्यवस्था मंद।
0अर्थव्यवस्था मंद, सुप्त रफ्तार।
रोग-कोरोना जनित विश्व पर
फैली छाया काली,
खाली - खाली जेब, घरों में
रिक्त हुई है थाली।
बंद पड़ा उद्योग, सकल व्यापार
अर्थव्यवस्था मंद, सुप्त रफ्तार।
छूटा जन का काम, घरों में
बैठ - बैठ सब हारे,
रोजी - रोटी गयी हाथ से
छूटे सभी सहारे।
हाथों में अब रही न वो पतवार
अर्थव्यवस्था मंद, सुप्त रफ्तार।
वृद्ध पिता की खाँस-खाँसकर
फूल रही है छाती,
माँ बैठी लाचार खाट पर
व्याधि विकट संघाती।
वैद्य घरों में बंद, कठिन उपचार
अर्थव्यवस्था मंद, सुप्त रफ्तार।
बेटे की रोजी पर घर का
चूल्हा निशि - दिन जलता,
दुग्धहीन चढ़ आँच कटोरा
खाली नहीं उबलता।
नहीं हाथ पर पैसे अब दो-चार
अर्थव्यवस्था मंद, सुप्त रफ्तार।
लेने को प्रतिकार रोग से
लगा हुआ है शासन,
चीरहरण करने को पथ पर
खड़ा हठी दुःशासन ।
रोगमुक्त निश्चित होगा संसार
अर्थव्यवस्था मंद, सुप्त रफ्तार।
अनिल मिश्र प्रहरी।