बगिया में
1बगिया में उस दिन
जब तुझको देखा
बगिया में उस दिन
जब तुझको देखा
दिल अपना तुझे
दे आया
ओ... दिल अपना तुझे दे आया
न जाने कौन सी गलियों का
न जाने किन-किन कलियों का
मैं दिल
तोड़ आया
हो..... मैंने दिल तोड़ आया
बगिया में उस दिन
जब तुझको देखा
दिल अपना तुझे
दे आया
ओ... दिल अपना तुझे दे आया
तू कहती थी
तेरे लिए मैं हूं
तू कहती थी
तेरे लिए मैं हूं
ग्रीष्म ऋतु की
शीतल छाया
बगिया में उस दिन
जब तुझको देखा
दिल अपना तुझे
दे आया
ओ... दिल अपना तुझे दे आया
चांदनी रातें और भीगी बरसातें
चांदनी रातें और भीगी बरसातें
छुप-छुप के मिलना और प्यार भरी बातें
मैं न कभी भुला पाया
बगिया में उस दिन
जब तुझको देखा
दिल अपना तुझे
दे आया
बगिया में उस दिन
जब तुझको देखा
दिल अपना तुझे
दे आया
©️ आनंद कुमार (मनीष)
पोस्ट संख्या- 15
कविता लिखने की तिथि- 22/06/2019
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ईमेल संख्या- anandkumar814151@gmail.com