चंचला छंद "बसंत वर्णन"
0चंचला छंद "बसंत" वर्णन" छा गयी सुहावनी बसंत की छटा अपार। झूम के बसंत की तरंग में खिली बहार।। कूँज फूल से भरे तड़ाग में खिले सरोज। पुष्प सेज को सजा किसे बुला रहा मनोज।। धार पीत चूनड़ी समस्त क्षेत्र हैं विभोर। झूमते बय
चंचला छंद "बसंत" वर्णन" छा गयी सुहावनी बसंत की छटा अपार। झूम के बसंत की तरंग में खिली बहार।। कूँज फूल से भरे तड़ाग में खिले सरोज। पुष्प सेज को सजा किसे बुला रहा मनोज।। धार पीत चूनड़ी समस्त क्षेत्र हैं विभोर। झूमते बय
वसंत के हस्ताक्षर डॉ सुशील शर्मा टेढ़ी तापड़ी आँगन में उगी दूब गदबदाता बौराता आम का विरबा गुनगुनी धूप में माँ का अचार डालना पिताजी का पेपर पढ़ना मेरी पीठ पर तुम्हारी वो पारी सी च्यूँटी। वसंत के हस्ताक्षर सी। शहर क
लो वसंत अब आ गया ! हर ऋतु के तेवर अलग ,अलग अलग पहचान कोई डंडे भाजती ,कोई फूंके प्राण पतझर के पतझार ने ,जो बोए विष बीज हर उपवन हर शाख पर,खीज खीज बस खीज लो वसंत अब आगया ,फूंक दिए हैं शंख धरा गगन कण कण खिला,लगे अनूठे पंख फूलो
अनुपम है ऋतुराज की शान , हर्ष उल्लास का हो रहा भान , वीणा की मधुर तान से , वीणा वादिनी का हो रहा गुणगान ।। अनुपम है ऋतुराज की शान, प्रकृति कर रही बंसती स्नान सरसों के पारितोषक से , धरणी का हो रहा सम्मान ।। अनुपम है ऋतुर
Man chaha mausam phulon per bahar. Ullas lye aya basant panchami tyohar. Amon ke pedon per khil aye bor. Kuhuk uthi koyalia nach uthe mor. Bahurangi titaliyan mandarati phulon per. Bhavanron ki gun gun gunji chanhu or. Sone si chamakili khil uthi sarason. Dharati ne odhi pili chader her or. Pili hai sarason udi pili patang. Genhun ki baliyon per basanti rang. Madmast ritu basant prem ka paigam. Harshaye cheharon per khushi aviram.
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