भारत और नदियां
0सारे जग में कहीं नहीं है,
दूजा ऐसा देश कहीं...
कल - कल करती बहती नदियां,
है पर्वत कहीं, मैदान कहीं...
राम जन्म की भूमि है जो,
सरयू पार स्थान यहीं...
हुआ राधा - कृष्ण का मिलन जहां पर,
यमुना का वह घाट यहीं...
भागीरथ के तप से हर्षित,
गंगा का है धाम यहीं...
इस धरा पर इसके जैसा,
है पावन,कोई नदी नहीं...
कृष्णा, कावेरी के जल की,
उमंग बहती है यहीं कहीं...
गोदावरी के गोद में बसा,
नासिक जैसा धाम यहीं...
नर्मदा , ताप्ती , कोसी, घग्घर,
जैसी नदियां हैं कहीं नहीं...
मातृत्व का बोध कराती,
मृदुलता का रसधार यही...
मेरे मन मर्जी का मालिक,
मेरा है संसार यही...
सारे जग में कहीं नहीं है,
भारत जैसा देश कहीं...
~आदित्यराज