भारत का गणतंत्र अनूठा
0भारत का गणतंत्र अनूठा
नील गगन में बड़ी शान से , आज तिरंगा फहराया |
भारत का गणतंत्र अनूठा , सारे जग को बतलाया ||
पराधीन भारत माता ने , जाग के ली अंगडाई थी |
वीरों की टोली की टोली , शीश चढाने आयी थी |
आज़ादी की जंग चली जब , देख फिरंगी घबराया |
भारत का गणतंत्र अनूठा , सारे जग को बतलाया ||
हाथ तिरंगा तान के सीना , बढ़ते थे जब बलिदानी |
भारत माँ की आज़ादी को , जान की भी दी कुर्वानी |
आज़ादी के मतवालों ने , इसे देश में लहराया |
भारत का गणतंत्र अनूठा , सारे जग को बतलाया ||
शत शत नमन है उन वीरों को , आज़ादी थी दिलवाई |
फांसी के फंदे पर झूले , सीने पर गोली खाई |
कितने अत्याचार सहे थे , जेलों में जब ठूसवाया|
भारत का गणतंत्र अनूठा , सारे जग को बतलाया ||
जाति धर्म का भेद न , सबको समता का अधिकार है |
मौके सबको मिले बराबर , कोई नहीं लाचार है |
अनुपम सविधान है अपना , जिसको हमने अपनाया |
भारत का गणतंत्र अनूठा , सारे जग को बतलाया ||
वोट डालकर सभी बनाते , भारत की सरकार यहाँ |
जनता है सर्वोच्च यहाँ पर , नेता चौकीदार यहाँ ||
जब जनता ने चाहा, सत्ता में बदलाव सहज आया |
भारत का गंणतंत्र अनूठा, सारे जग को बतलाया ||