Bachapan
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“ बचपन ”
फिर लिख सकूं एक सुन्दर कहानी ,
लौटा दो वो बचपन , छीन लो ये जवानी I
पेड़ों पर चढ़ना , वो पतंगें उडाना ,
जेबों में कंचे और लट्टू चलाना I
कड़ी धुप में गिल्ली डंडे को लड़ते ,
रातों को चोर - सिपाही पकड़ते I
फिर लिख सकूं एक सुन्दर कहानी ,
लौटा दो वो बचपन , छीन लो ये जवानी I
नंदू की चाची को आते - जाते चिढाना ,
तालाब में जाकर नंगें नहाना I
मासूम शरारत , वो लड़ना – झगड़ना ,
खुद ही रूठना , खुद ही जाकर मनाना I
फिर लिख सकूं एक सुन्दर कहानी ,
लौटा दो वो बचपन , छीन लो ये जवानी I
दादी के बिस्तर पर ढेरों कहानी ,
दादा की जेबों से चवन्नी चुरानी I
कभी दोस्त की साईकिल से गिर कर ,
माँ – बापू को झूटी कहानी सुनानी I
फिर लिख सकूं एक सुन्दर कहानी ,
लौटा दो वो बचपन , छीन लो ये जवानी I
बचपन भी छूटा , वो गलियां भी छूटी ,
दादी भी छूटी , कहानियां भी छूटी I
माँ का डपटना फिर गले से लगाना ,
बापू की ऊँगली से यारी भी छूटी I
फिर लिख सकूं एक सुन्दर कहानी ,
लौटा दो वो बचपन , छीन लो ये जवानी I