मेरा गांव
2मेरा गांव (कितने हसीन थे) कच्ची दीवारों पर छप्पर पड़े थे... थे घर छोटे छोटे पर दिल के बड़े थे... वो आमों की बगीयां वो सावन के झूले.. वो कपड़े की गेंदें और लकड़ी के टोले.. पनघट पर सखियां हंसी के ठिठोले.. थे कंकड़ के गुटके और
मेरा गांव (कितने हसीन थे) कच्ची दीवारों पर छप्पर पड़े थे... थे घर छोटे छोटे पर दिल के बड़े थे... वो आमों की बगीयां वो सावन के झूले.. वो कपड़े की गेंदें और लकड़ी के टोले.. पनघट पर सखियां हंसी के ठिठोले.. थे कंकड़ के गुटके और
हम देश के लिए जीते हैं और देश के लिए मरते हैं देश से बढ़कर किसी को हम कुछ नहीं समझते हैं हम धर्म के लिये जीते है और अधर्म को मिटाते हैं सबका मान सम्मान कर देश की लाज बचाते हैं जागते हैं या सोते हैं देश में ही खोये रहते
मन द्रवित है मौन हूँ फिर भी ह्रदय यह बोलता है रक्त रंजित इन पगों से महीमण्डल डोलता है इस व्यथा इस वेदना को देखकर भी मूक हैं जो क्यों न उनका रक्त आंशिक रूप से भी खौलता है मूढ हैं जो आज फिर से उनको मैं चेतावनी दूं ध्या
सभी जगह एक ही बात कोरोना कोरोना स्कूल की होगई छूटी छूटी डरो ना डरो ना कोरोना से नहीं होना है भयभीत भयभीत डरो ना डरो ना कोरोना कोरोना डरो ना डरो ना कोरोना से डरो ना डरो ना (2) घर में ही मजे करोना करोना डरो ना डरो ना हाथ
Ekta ke deep jalakar lado naya vihan, Bharat ma ki laj bachane jago hindustan || Purav paschim uttar Dakshin kola har atanko ka, Jag shant karna hoga jat pat ke danko ka || Sara bhrishtachar mita do Bharat Ki is bhoomi se, Prem ke mehetve ko bikher do apne dil ki gunjan se || Swatantrata pukar rahi hai aaj hame hamare balidano ko, Awaz laga rahi pradushan se chutkara pane ko || Aaj Iss Swatantrata diwas ke awsar par hum pratigya karte hai, Hum apne desh ko swach, pavitra aur Nirmal banaenge ||
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