*************तेरी माया सब तै ऊपर************** तनै के के रंग दख्याऐ मालिक मनै देख लिया जग सारा हो तेरी माया पाई सब तै ऊपर अर तू सब सृश्टि तै न्यारा हो सडकां पै देखे जीव बिलखते दर्जा कहण नै मां का सै दुःख ना बाण्डया गया किसे पै घा देख
कहाॅं खो गई हमारी संस्कृति, जिसमें भरी हुई थी सभ्य-सभ्यता। जहाॅं न थी पैसों की भुख, न होती थी अकेले की सुख। जहाॅं कद्र होती थी सर्वोपरि, अनुशासन परिवार की थी मुख्य कड़ी। माता-पिता की सेवा ही, संतानों की थी सबसे बड़
सब ने मुझे पतित बतलाया है जीवन पथ पर झूठ लाया है पर दृढी वीर में बढ़ता हूं संकल्प सिद्धि को लड़ता हूं।। समाज मुझे मेरा परिचय देगा मेरे ज्ञान को वह अज्ञान का दर्जा देगा है कल्प !अगार उसमें तो समझा दे मुझको वह बना है
बीत गयल जे बीते वाला साल तोहें मुबारक । फिर से आयल नयका चुड़ा भात तोहें मुबारक । फिर से आई खिचड़ी मंटर गोभी संग छउँकाई । नयका फगुआ सरसो संगे माहो लेहले आई । तीसी मसुड़ी दुन्नो संगवे फिर से ली अंगड़ाई । गेंहू के भी लागे
अनंत है , अंतहीन वो जीवित , मृत में लीन वो।। अणु , परम अणु में वो हवा में है विलीन वो ।। है अर्श वो , ज़मीन वो विधान का विधीन वो।। अगन में वो , तपन में वो तमस में वो , है धीर वो।। है तुझमें वो , है मुझमें वो न पत्थरों के भीत व