हैवानियत
0मेरे जिस्म के चिथड़ों पर लहू की नदी बहाई थी मुझे याद है मैं बहुत चीखी चिल्लाई थी बदहवास बेसुध दर्द से तार-तार थी मैं क्या लड़की हूँ, बस इसी लिये गुनहगार थी मैं कुछ कहते हैं छोटे कपड़े वजह हैं मैं तो घर से कुर्ता और सलवा
मेरे जिस्म के चिथड़ों पर लहू की नदी बहाई थी मुझे याद है मैं बहुत चीखी चिल्लाई थी बदहवास बेसुध दर्द से तार-तार थी मैं क्या लड़की हूँ, बस इसी लिये गुनहगार थी मैं कुछ कहते हैं छोटे कपड़े वजह हैं मैं तो घर से कुर्ता और सलवा
ਮਹਿਕਦੀਆਂ ਹਵਾਵਾਂ ਦੇ ਿਵੱਚ ਬੋਲਨ ਤਿੱਤਰ ਬਟੇਰ ਆ ਨੀ ਸਹੇਲੀਏ ਗਲ ਲੱਗ ਿਮਲੀਏ ਹੋਏ ਅਸਾਂ ਦੇ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ ਮੇਲ ਸੁਣਾ ਦੇ ਬਾਤ ਕਿੰਨੇ ਪੂਨੀਆ ਗਲੋਟੇ ਕਰਤੇ ਤੇ ਕਿੰਨੇ ਰਹਿ ਗਏ ਹੋਰ ਸੇਰ ਕਿੰਨੇ ਖੇਸ ਦੇ ਬੰਬਲ ਕੁੱਟੇ ਕੀ ਬੁਣਤੇ ਸਵੇਟਰ ਮਾਹੀ ਲਈ ਬੁਣਤੀਆਂ ਉਧੇੜ ਪਾ
आओ एक बीड़ा उठाएं मरते किसान को समृद्ध बनाएं जिस कृषि ने पेट भरा सभी का उस कृषि ने फिर रोजगार बनाए आओ एक बीड़ा उठाए हर घर मे सोना चांदी भरकर देश को फिर सोने की चिड़िया बनाए अतिथि देवो भव: के फिर गूंजे नारे आओ भाईचारे क
"बदल गईल बा अब ई जमाना रे...." भोरे-भोरे सुग्गा के आवाज़ नइखे आवअता अंगना में चिड़िया अब नइखे चहचहावता अब नइखे पहले जइसन दिन उ सुहाना रे कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे दुआरे पे खाट नइखे बाबूजी डॉट नइखे खुल गईल मॉल जबसे पह
हाँ, मैं बिहार हूँ, गर्वित हूँ, सुसज्जित हूँ, सृजित हूँ, धर्मपरायण हूँ, वीर हूँ, सुदृढ़ हूँ, ईश्वर नें मेरी बेहतरीन रचना कि है, हाँ, मैं बिहार हूँ... लहरों सा गतिमान, हिमालय सा खड़ा, अपनी संस्कृति और सभ्यता से परिलक्षित, स
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