फटे-पुराने कपड़े
0फटे-पुराने कपडे सिलती थी कुरतियाॅ पिता के घुटन्ने फटे पुराने कपड़ों से अम्मा!जज पहिनकर दोनों पीटते थे ढिढोरा अपनत्व के घनत्व का अवकाश त्योहारों पर मेरे कदमों की दस्तक से मांगती थी उत्तर तपाक से अम्मा लाए हो फटे
फटे-पुराने कपडे सिलती थी कुरतियाॅ पिता के घुटन्ने फटे पुराने कपड़ों से अम्मा!जज पहिनकर दोनों पीटते थे ढिढोरा अपनत्व के घनत्व का अवकाश त्योहारों पर मेरे कदमों की दस्तक से मांगती थी उत्तर तपाक से अम्मा लाए हो फटे
माटि चानर रतन फैलबैतय उजियारा श्यामल-2 गंगा कमला अनुपम धारा माय आखि हर्षित नोर जल माटि के लाल अनुपम कृति सोन जडित देवभूमि विख्याता राजा जनक जननी जानकी माता पावन पवित्र धरती माता जग-2 जानत अनुपम कृति ऐसन नगर ऐसन न
जनक नंदिनी जानकी माता मैं हूं तेरा लाल एक बार में लगता है ऐसा सौ बार जन्म हो माता देवल्लायत इस धरती आया मै माता मीठी बोली सब सचे कहाँ में पता माता भारतवर्ष की इस भूमि पर तरसता है आनेवाला किस-2 पथ पर जाऊ असमंजस मे हूं
लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित ना होना कभी निराश प्रिय कल फिर से नया सवेरा होगा चिड़िया चहकेगी पेड़ों पर फिर से यहां बसेरा होगा बहती हवाओं से तुम पूछो या पूछो कीट पतंगों से कितना मुश्किल जीवन होता जीवन होता संघर्षो
मुकम्मल सा हिसाब है मुकम्मल सा हिसाब है इस कदर। कोई नाम बेचता है बरे इतमीनान से। कोई काम बेचता है बरे इंतजाम से। कोई तो खरा बाजार में अहले शाम से। ये अलग बात है मतलबी है शहर-शहर। मैं आ रहा हूं, शौक से तू तो जरा ठहर।।
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