Dhoop Ab Khilane Lagi Hai
0कायदे से धूप अब खिलने लगी है।
लेखनी को ऊर्जा मिलने लगी है।।
दे रहा मधुमास दस्तक, शीत भी जाने लगा,
भ्रमर उपवन में मधुर संगीत भी गाने लगा,
चटककर कलियाँ सभी खिलने लगी हैं।
लेखनी को ऊर्जा मिलने लगी है।।
कल तलक कुहरा घना था, आज बादल छा गये,
सींचने आँचल धरा का, धुंध धोने आ गये,
पादपों पर हरितिमा खिलने लगी है।
लेखनी को ऊर्जा मिलने लगी है।।
सब पुरातन पात पेड़ों से, स्वयं झड़ने लगे हैं,
बीनकर तिनके परिन्दे, नीड़ को गढ़ने लगे हैं,
अब मुहब्बत चाके-दिल सिलने लगी है।
लेखनी को ऊर्जा मिलने लगी है।।
