दीवाली उपहार
0ज़गर मगर हों दीप घर आँगन में हो रही /कानाफूंसी बात हार- खेत बाज़ार में /खुशियों की सौगात साफ़ सफाई का छिड़ा/घर - आँगन अभियान कूड़ा करकट गंदगी ,सोये जा श्मशान अधर अधर पर नाचता /सबके एक सवाल राजनीति में मच रहा /चारों ओर बबाल
ज़गर मगर हों दीप घर आँगन में हो रही /कानाफूंसी बात हार- खेत बाज़ार में /खुशियों की सौगात साफ़ सफाई का छिड़ा/घर - आँगन अभियान कूड़ा करकट गंदगी ,सोये जा श्मशान अधर अधर पर नाचता /सबके एक सवाल राजनीति में मच रहा /चारों ओर बबाल
मिट्टी. के दीयों से साहब दिवाली मनाओ, अपनी संस्कृति को आप मत भूल जाओ... पलते हैं कई परिवार इन्हीं त्योहारों से, थोड़ा गौर आप इधर भी तो फरमाओ... माना पसंद आती है आपको विदेशी चीजें, पर जिस देश में रहते हो उसे ना भूल जाओ... ब
आज दियों से रौशन ये जहांन होगा...! खुशियों से रंगा पूरा आसमान होगा...! देखेंगे फलक से चांद सितारें जमी पर, आज खशी में झूमता हर इंसान होगा...! महकेगा घर-आंगन फूलों की महक से, दिपक से जगमगाता हर द्वार होगा...! न आॅफिस की चिंता
इस दिवाली पे भी माँ मैं घर न आ पाऊंगी, और तेरे संग ना दिवाली की दिप जला पाऊंगी, जानती हूं तुम भी बहुत याद कर रही होगी मुझे, जब तुम घर की सफाई अकेले कर रही होगी, जब तुम घर की सजावट अकेले कर रही होगी, जब सब लोग होंगे तेरे आ
एक दीया हुँ मैं...। स्वयं अंधेरे में रहकर, अंधकार दूर करता हुँ मैं, जलता ही रहता हुँ, क्योंकि एक दीया हुँ मैं। कभी सिर्फ मिट्टी का होता था, अब धातु का भी होता हुँ, मुझे इस बाहरी काया से क्या करना है, मेरा कार्य तो जग में
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