दुआ है अब इस देश की सूरत सवर जाए...
072 साल पहले घड़ा जो संविधान था,
भारत के सर का ताज वह भारत का ईमान था,
लाख गुनहगार छूट जाएं कोई बात नहीं,
एक बेगुनाह सजा ना पाए यह जिसका फरमान था,
आज उसी संविधान की धज्जियां उड़ते देखता हूं,
भारत के कानून को भारत में टूटते देखता हूं,
भ्रष्टाचार विरोधी दल ही भ्रष्टाचार करते हैं,
कानून का सहारा लेकर कानून से ही बचते हैं,
राम दरबार की तस्वीर लगी जब संविधान बनाया था,
यह देश रामराज्य जैसा होगा यह अरमान सजाया था,
बहू बेटियों की इज्जत के लिए जिसने लहू बहा दिया,
बलात्कारियों ने उसी देश के दामन पर दाग लगा दीया,
दुआ है अब इस देश की सूरत सवर जाए,
जो देश का बुरा चाहते हैं उनकी नियत सुधर जाए...
-Kavi Aalok