दशहरा / Dussehra
0साहित्य संगम संस्थान और संगम सुवास नारी मंच का हार्दिक आभार । मेरी रचनाओं को पसंद करने के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार । मेरी गुरु आदरणीया छाया दीदी का भी बहुत बहुत धन्यवाद ।
मैं शब्दों में छाया दीदी का धन्यवाद व्यक्त करने में समर्थ नहीं हूँ । दीदी की प्रतिभा ,ज्ञान, सहृदयता के आगे अनुजा
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दशहरा
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वर्तमान परिवेश में
आज कलयुग की रामायण में
न प्रभु राम रहे न सीता भये
न कोई आदर्श शुद्ध विचार रहे
कथनी और करनी में भेद भये ।
क्या होगा एक पुतला जलाने से
जब घट घट में बुराई का वास रहे।
आज कैसे मनाऊँ सखी दशहरा
जब बुराइयो का संहार न होये।
असत्य पे सत्य की जीत फहराये
दशहरे की प्रथा का प्रारंभ हुआ
दशमी पे रावण का नाश होके
अच्छाई की जीत का आगाज हुआ ।
चली आ रही दशहरे की परंपरा
रावण के पुतले को जलाने की
पर क्या जलाया हमने घट घट में
फिर कैसे पर्व का अर्थ पूर्ण होये ।
अंजू गोयल