Ek Titali Badi Nirali
1कल्पना
एक तितली थी बिलकुल निराली
दिखने में कुछ पीली कुछ काली
उडती रहती होकर … मतवाली
पता रखती कहाँ फूलो की डाली
बगीचे में एक फूल उसे बहुत भाता
उससे था उसका ...... पुराना नाता
तितली अक्सर उससे मिलने आती
सारे गुलशन का हाल उसे सुनाती
फूल भी उसका इन्तजार करता
लेकिन वो कुछ उदास सा रहता
उसकी एक कल्पना उसे सताती
जो उसके मन में बार बार आती
तितली को देख वो सोचता
में भी इधर से उधर उड़ता
काश मेरे भी पंख आ जाये
और सारे सपने पूरे हो जाये
एकदिन तितली फूल को चूम रही थी
तेज हवा के कारण ..... झूम रही थी
तभी एक .... दुःखद घड़ी आ गई
एक नटखट बच्चे को वो भा गई
उसने उसे ....... झट से पकड़ा
अपनी मुट्ठी में इस तरह जकड़ा
कि वो क़ैद से .... छूट ना पाई
और कभी लौट कर....ना आई
फूल अब बेहद ......... उदास रहता
उसका मन बस एक ही बात कहता
चाहे मेरे पंख ..... अब कभी ना आये
लेकिन प्यारी तितली फिर मिल जाये
© हेमंत राणा