फेस-फरेबी
0कविता :- फेस-फरेबी
कवि :- N.K.M. [ +916377844869 ]
गर्ल फ्रेंड का होता है फेस फरेबी
बातें करती मीठी हो जैसे जलेबी
करवा खर्चा देती है कभी भी
रखना जरूरी जेबें पैसों से भरी
मिलने में करती है वो जब देरी
समझो शो हो गई अपनी गरीबी
इतना करके वो रहती है घमंडी
कुछ बोले तो अपन, बोले वो बातें गन्दी
आती है वो बन-ठन सी
देखती है दिशा होटल की
डिमांड है उसकी ऊंची सी
करती ओर्डर ड्रीन्क बोतल की
फिक्स नहीं है उसका दल
आज हूं उसका दूजा होगा कल
टाइम पास करती दल को बदल
प्रोब्लम अपनी वो ना करती हल
आई टेल यू मेरी लव स्टोरी
ज्यादा लम्बी नहीं ये है थोड़ी
खाके पिज्जा मेरी स्कूटी तोड़ी
दूजा मिला कोई शाली मुझ को छोड़ी
किसके बाप ने शिक्षा पे कमाई लगाई थी
किस-किस को उस पाई से आई.आई.टी. करवाई थी
कोलेज में कौन-कौन सी लड़की पटाई थी
अब बता क्या आज वो तेरे घर की बहू बन पाई थी
Don't See उसका काजल, मंडरायेंगे देखा तो काले-काले बादल
तन्हा करके जब जाएगी वो, फूट के बादल आंखों में अपनी कर देगा जल
तब इस टाइम ना रख पाएगा हौसला, ना बच पाएगा बल
मुस्कुरा कर, अपनी चाल पर, बना जाती है अपने जैसों पर दलदल
आई लव यू उसकी बातें मीठी
धड़कन में है ये बिल्कुल फीकी
पढ़ लो बातें जो उसकी जुबां पर लिखी
तुम हो अंधे पर मुझको दिखी