मैं और तुम हैं साथ साथ चरखी और पतंग से... बंध में बंधे हुए इसलिए सधे हुए एक महीन तंग से... जब भी तुम चाहती हो उड़ना में देता हूं ढील कि तुम छू सको आसमां और जब तुम बहक जाती हो उच्छृंखल होकर तो खींच लेता हूं तुम्हे रफ्तार
नववर्ष - शुभकामना मेरे बच्चों वीरानी में भी तुम मधुमास बन जाओ। गरीबों औ यतीमों का नया उल्लास बन जाओ। मुबारक हो सभी खुशियाँ तुम्हें नववर्ष पर बच्चों, विजय-पथ पर निकलकर आश औ विश्वास बन जाओ। कहीं पर आरती तो फिर कहीं
15 -Nov-2020 Prabhat Pandey Festival Poems 0 Comments 619 Views
भाई दूज का पर्व है आया सजी हुई थाली हाथों में अधरों पर मुस्कान है लाया भाई दूज का पर्व है आया || अपने संग कुछ स्वप्न सुहाने लेकर अपने आंचल में खुशियां भरकर कितना पावन दिन यह आया बचपन के वो लड़ाई झगड़े बीती यादों का दौर
Happy Ganesh Chaturthi.. एक बार माता पार्वती ने सोच समझ कर किया विचार, अपने शरीर के निकले मैल से पुतले का दिया आकार, प्राण डाले उस पुतले में ,और नाम दिया उसको गणेशा, आदेश दिया पुत्र गणेश को,बन जाएं उनका पहरेदार, अंदर कोई न आने पाये,
स्वाधीन दिवस / रक्षा बंधन देखो तो भाई -बहिना/सबका ही यह है गहना स्वाधीन दिवस - रक्षा बंधन हराभरा है बिछा गलीचा /हँसते गाते बाग़ -बगीचा स्वर्ग परी ने बांची चिठिया/राखी ने उल्लास उलीचा रिश्तों का सुख -चंदन... राखी याद दि