पुष्प की वेदना ************* ................... By Parmanand kumar मेरी नाज़ुक पंखुरियों को देख क्या तुम्हें दया नहीं आई? अपने प्रणय देवता के लिए उपहार में देने को मुझे पाषाण कर तुम अपना अल्पायु में ही तोड़ मुझे.. क्यों तुम्हें लज़्ज़ा नहीं आई? धि
(32) गुलाब का फूल गुलाब का फूल फूल तो सुन्दर होते हैं, पर गुलाब तेरा जवाब नहीं। जितना सुन्दर तू है, शायद कोई और नहीं। तेरी सुन्दरता कैसे बयान करूँ, तेरी हर पंखुड़ी सुन्दरता की प्रतिमा है। रंग कई होते हैं तेरे, लाल,पीला,
फूल ( सोनेट) __________ कितना प्यारा फूल खिला डाली के ऊपर, रंग रूप से अपने सबको मोहित करता, मधुर गंध से जन - जन की साँसों को भरता, खिल खिल हँसता नहीं मौत का कुछ मन में डर। चुभन तीक्ष्ण कंटक की यह चुपचाप सहन कर, दे तितली को रस भँ
इस तरह खिल कर , मेरे मन को भरमा रहे हो तुम , जैसे पतझड़ी फिजा में , बसंत के गीत गा रहे हो तुम ! तम से लिपटी जिन्दगी में , सुनहरी भोर सा मुस्कुरा रहे हो तुम !! इस तरह मेरे तन को बहका रहे हो तुम , जैसे छेड़ के भ्रमर के अक्स को, अ
Saj uthi kyariyan tulip ke phulon se. Lal peele baigani shvet dhaval phulon se. Teen hajar kismen hain dedh sau prajatiyan, Fijayen mahak hain tulip ke phulon se. Phooldan men ho ya kahin bhi lagayen. Prakash ki disha men ye mudate jayen. Tane men ek phool kahi teen char bhi, Pahadi ilakon ko tulip mahakayen. Patjhad ke mausam men tulip lagayen. Jaden hongi majboot jab thand badhati jaye. Garm sthanon per ugata nahin tulip, Thand ke mausam men inpe bahar aye. Sailani pahadon per ghumane hain jate. Tulip phoolon ko dekh ke harshate. Man moh lete