Phool Aur Kaante
5फूल और काँटे
फूलों की चाहत सबने की, पर काँटो को क्यूँ हटा दिया
ये भूल गये कि काँटो ने ही इन्हें पनाह दिया
काँटें ना होते तो फूलों की क्या थीं पहचान
काँटो की वजह से ही इन्हें मिला हैं इतना मान सम्मान.
काँटो ने की रक्षा इनकी, करके अपने को बदनाम
फूलों को देकर अहम दर्जा, काँटो को बना दिया नाकाम.
ये फूल और काँटो की बात नहीं, होता हैं सबके साथ सरेआम
अच्छा हमेशा मरता हैं, बुरा करें आराम
पर काँटे तू डरना मत, करने दे फूलों को अपने पे नाज़
और बन जाने दे, हर किसी के सर का ताज
एक ना एक दिन इन्हें तो मुरझाना हैं, और आखिर फिर तुम्हें ही इन्हें बचाना हैं.
फूल तो हमेशा बदलते रहेंगे, तुम रहोगे सदा वहीं,
जैसे भक्त हमेशा बदलते रहते है, भगवान रहते हैं सदा वहीं.
इसलिये ऐ काँटे तू वो हीरों हैं जो परदे के पीछे रहता हैं
अपने को बुरा बताके भी, इस दुनियाँ से कुछ कहता हैं
पर ये दुनिया ही ऐसी है,
जिसे फूलों की रंगत तो दिखती हैं
पर काँटो की पीड़ा नहीं
फूलों को मिला प्यार दिखता हैं
पर काँटो को मिली घ्रणा नहीं.
Great poem,
Loved it motivational and thoughtfully created.
Perfectly rhymes while reading...
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I invite to read mine..
I loved your creation.