POEM :- यारी - बीमारी LYRICIST :- N.K.M. [ +916377844869 ] LYRICS :- :::--- INTRO PART :- तू जब मौजूद रहा, तब मौज़ का मौसम बरसा... दूर है तू मुझसे कितना, कितना दिल मेरा तरसा ... ************************ :::::------- CHORUS PART :- तेरी यारी की लगी है मुझे कैसी बीमारी , कभी मिट ना पाएगी मेरी तुझसे या
इतनी मुद्दतो के बाद दोस्तों को याद किया है, अमबालवी ने आज अपने कोई काम किया है, पूरी शोहरत से गुजरे आखिरी सफर बहीशती की तरफ, कई कंधो का खुद के लिए इंतज़ाम किया है, इतनी मुद्दतो के बाद दोस्तों को याद किया है। ता उम्र
दोस्ती दोस्त से होती है किसी नाम से नहीं होती... रूह से रूह का मिलन है ये किसी काम से नहीं होती... गलत क्या है और सही किसे कहते है ये बतायेगा कौन, सुकून भरोसा ख्याल हमदर्दी के बिना चाम से नहीं होती... दोस्ती को लिंग से बद
हमने सब कुछ किया उन्हे सिर्फ अपना समझकर उन्होंने औरो संग बाट दिया हमे अपना कहकर हम हर खुशी उन्हे दे देना चाह रहे थे उन्होने गम हमे दे दिया हस हस कर उनकी मुस्कान के लिए हम सब कर गए वो एक ही बात बोलकर हमे गम दे गए हमार
नवोदय मे पढ़ा करते थे मस्त मगन रहा करते थे। ना धूप की चिंता, ना कपड़ों का डर हम तो मट्टी मे ही खेला करते थे।। एक के पापा सब्जी बेचा करते थे दूसरे के पापा रिक्शा चलाया करते थे। हम ऐसे बच्चे थे जो नवोदय मे पढ़ा करते थे।। ल