Bin Beej Ka Phal Hai Kela
0बिना बीज का फल है केला कुछ लम्बा - सा कुछ पतला, कमर झुका कर तनिक बीच में रहा उम्र अपनी बतला । सचमुच बहुत पुराना फल यह रहा नाम इसका कदली, पूजा में भी चढ़ती आई गूदे से यह भरी फली। हरी पौध होती है इसकी केवल एक तने वाली, फूट
बिना बीज का फल है केला कुछ लम्बा - सा कुछ पतला, कमर झुका कर तनिक बीच में रहा उम्र अपनी बतला । सचमुच बहुत पुराना फल यह रहा नाम इसका कदली, पूजा में भी चढ़ती आई गूदे से यह भरी फली। हरी पौध होती है इसकी केवल एक तने वाली, फूट
लाल पीत रंगों से रंगी फिर भी कहलाती नारंगी, इसको खाओ तो मन भीतर बजती खुशियों की सारंगी। बाहर का छिलका हटते ही फाॅंकें दिखती घेर घनेरी, जिनकी तह में संरक्षित है रस वाले कोशों की ढेरी। बच्चे बूढे़ रोगी दुर्बल इसके
वर्षा आई गिरे पेड़ से गदराए काले जामुन, इन चिकने स्वादिष्ट फलों को बीन रहे बच्चे चुन चुन। खाकर गूदा बड़े चाव से थूक रहे बाहर गुठली, खट्टे फल भी इनको लगते मिश्री की ज्यों मधुर डली। कुछ बच्चे तो पुड़िया में रख नमक सा
तीखी गर्मी के जाते ही वर्षा की जब पड़े फुहारें, तब दिखती है बाजारों में लीची की मदमस्त बहारें। टहनी पत्ते सजे साथ में संग संग चलते ज्यों अपने, पानी से तन शीतल करती जब आतप से लगती तपने। लाल गुलाबी कत्थे जैसा छिलका द
लटक रहे हैं हरे सुनहरे बेलों पर कितने अंगूर, ताक रहे हैं इनके गुच्छे पेड़ों पर बैठे लंगूर। कभी लोमड़ी भी उछली थी हुई भूख से जब मजबूर, ऊॅंचे थे ये पा न सकी तो बोली- खट्टे हैं अंगूर। भरा हुआ है इनके अन्दर मीठा रस कितना
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