ओ मेरे गणपति महेश
0ओ मेरे गणपति महेश तेरी जय हो गणेश कर तु जग का भला मिटा सब तु द्वेष ओ मेरे गणपति महेश तेरी जय हो गणेश हर सुख का शुभारम्भ तु अंत तु ही है सुख तु सुख का कारण तु ही है खुशियों की हर वजहा तु ही है ओ मेरे गणपति महेश तेरी जय हो
ओ मेरे गणपति महेश तेरी जय हो गणेश कर तु जग का भला मिटा सब तु द्वेष ओ मेरे गणपति महेश तेरी जय हो गणेश हर सुख का शुभारम्भ तु अंत तु ही है सुख तु सुख का कारण तु ही है खुशियों की हर वजहा तु ही है ओ मेरे गणपति महेश तेरी जय हो
मुक्तामणि छंद "गणेश वंदना" मात पिता शिव पार्वती, कार्तिकेय गुरु भ्राता। पुत्र रत्न शुभ लाभ हैं, वैभव सकल प्रदाता।। रिद्धि सिद्धि के नाथ ये, गज-कर से मुख सोहे। काया बड़ी विशाल जो, भक्त जनों को मोहे।। भाद
जाते जाते बाप्पा जाते जाते कदम रुके रुके से ऐसा प्यार मिला हर परिवार से नन्हे बच्चों के लगाव में बंदे गणराज आज बिदा लेते। मन में कई उम्मीदे है भरी गणेशा तेरे आगमन से जाना फिर वापस भी आना साल बीते तेरे आने के इंतजा
हो कर मुशक पर सवार, बप्पा चले भक्तों के द्वार......! ढोल ताशे की धून पर, नाचे सारा हिंदुस्तान...........! उड़ा कर अबीर गुलाल, करी फूलों की बरसात.........! हर नर नारी यही कहे, बप्पा पधारो हमारे द्वार........! भोग लगाकर मोदक का, करनी है सेवा
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