गणतंत्र और किसान आंदोलन
0गणतंत्र और किसान आंदोलन
***********************BY PARMANAND KUMAR
26.JAN, 2021
देश की आन- बान और शान पर
ग्रहण क्यों है लग रहा ?
लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर,
तिरंगे का क्यों अपमान किया ?
हाय रे अभागा!भारत माँ ने पाला तुमको...
इसलिए तूने भारत माँ का ही चीर हरण किया?
डूब मरो या मर जाओ, मरने में तेरी भलाई अब....
.................................
आंदोलन तो किसान किया था,
आतंकवादी सी गतिविधि फिर क्यों ?
गणतंत्र दिवस की मर्यादा का,
उलंघन किया फ़िर तो तू दुश्मन हो !
......... ... .............
भारत माँ की अस्मत लूटे..
लाल किला पर चढ़कर जो
तिरंगे का इज़्ज़त है लूटे..
भारत माँ का तू पूत नहीं..
...................
वीर नहीं तू कायर है..
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं
जाहिल, कायर, देशद्रोही है
भारत का गद्दार भी तू.....
...... ... .... ...........
सीमा पर लड़ते सैनिक
जब शहीद हो जाते हैं...
शर्म नहीं, गर्व होता है तब
गौरव से सिर ऊँचा हो जाता है
............
देश के भीतर, देश के पुत्र
जब आपस में लड़ते हैं...
बैरिकेट तोड़, रक्षक को मारे
वो किसान हो नहीं सकते हैं...
............
गाँधी की धरती पर क्रांति
अहिंसा के दामन पर हिंसा का दाग़
ये कैसी अनहोनी है....
लाठी डंडे से पिटाई..
जब पुलिस कर्मी की होती है
बचाव में आँसू गैस के गोले
किसानो के बिरुद्ध जब छूटती है!
......................
अराजकता का माहौल फैलाकर
क्या किसान पा सकतें हैं..
सेनाओं से युद्ध करने को
दो दो हाथ जब लेते हैं....
समझ नहीं आती जनता को
क्या ऐसी ही महाभारत थी...
................ ......
बुद्ध की धरती शर्मसार हैं
अपने पुत्रों के करतूतों से!
अनुनायी ये हो नहीं सकते
हिंसाई जन -गण -मन के वाणी से!
................... .......
गणतंत्र के गौरव की गर्दन को
ऐसे क्यों मरोड़ रहा....
फहराते हुए तिरंगे को
आज लाल किला से क्यों फेक रहा
रे निर्लज्ज! निर्लज्जता की हद कर तू
तिरंगे का क्यों अपमान किया?
..........................
देख रहा दुश्मन भी तुमको
लानत कहता होगा आज...
फ़िर भारत से दुश्मनी के कारण
वो जश्न मानता होगा आज...
....................... ...
By Parmanand kumar
Madhubani
बिहार
26 january, 2021.
