शीर्षक--- . ----------------------------- .....ईश्वर.... GOD ---------------------------- 1. मैं प्रलय हूँ, महाप्रलय हूँ! काल व महाकाल भी हूँ! अंत भी मुझसे ही है... जीवन भी मुझसे ही है..... संत और भगवंत भी हूँ! आशीर्वाद निर्झरिणी मुझसे ही है..... मैं प्रकृति का नियामक .... न
हे भरत वंश रघुकुल नंदन, श्री राम आपका अभिनंदन हे अरुण दिवाकर आदि अंत, वसुधा से अंबर तक अनंत हर मां की ममता में बसते, नदियों की लहरों में बहते कण-कण में व्याप्त नियम तुम ही, जीवों में व्याप्त स्वयं तुम ही निर्मल निश्
हे मोहन कृष्ण मुरारी तेरी महिमा अति प्यारी छवि तेरी है ऐसी अलौकिक जग को लगती न्यारी जग में ऐसा लोक नहीं है जिसमें ना हो तेरा वास शाम सवेरे तुझको पूजे लेके दिल में कृष्ण का आस करते हो तुम सबकी रक्षा रहता है भक्तों क
सत्यमेव जयते.... सत्य और असत्य में एक दिन छिड़ा भयंकर द्वन्द था, असत्य था बड़ा अभिमानी, बोला बड़े अभिमान से, जो मुझको अपनाता है, वो सारी खुशियाँ पाता है, क्योंकि मेरा साथ बेईमानी, छल कपट के साथ-साथ, ईर्ष्या और द्वेष भी नि
कृष्ण भजन- कान्हा तेरी सूरत बड़ी प्यारी प्यारी, श्याम वर्ण पर मै जाऊँ बलिहारी। 1-बाललीला तेरी मन को लुभाये, नटखट अदाओं पर हुई मतवारी, कान्हा तेरी सूरत बड़ी प्यारी प्यारी।। 2-मथुरा में तुमने जन्म लिया था, गोकुल में चह