Kamra Nani Ka
1बचपन की यादों का एक हिस्सा कमरा नानी का
अपनेपन का है अनूठा किस्सा कमरा नानी का
वो हल्के दरवाज़े, खिड़की बिन मच्छर जाली के
नानी के दिल की तरह है खुला कमरा नानी का
बाकी कमरों में आवाज़ें और बातें हैं मतलब की
हँसी, खेल, तमाशे, नाचना, गाना कमरा नानी का
हर कोई कुछ पल को इसमें आ जाने को आतुर है
बाकी घर वीरान हो, जब हो मेला कमरा नानी का
वही फर्नीचर, बान की खाट, कानिस, शीशा और ताले
नानी की तरह न बदला ज़रा सा कमरा नानी का
बढ़ते बच्चों की बढ़ती ज़रूरत ने पैर पसारे हैं
कुर्बानी को था तैयार ये कैसा कमरा नानी का