"है फूलों का हार जिंंदगी"
0जीने को तैयार जिंदगी
मिटे भले सौ बार जिंदगी
हक भाई का जो खाता है
उसकी है बेकार जिंदगी
दो रोटी की खातिर हमने
देखी बिकती यार जिंदगी
मात-पिता की सेवा कर लो
फिर तो है गुलज़ार जिंदगी
तुम 'रोहित' सब को समझाना
है फूलों का हार जिंदगी
©रोहित कु० अम्बष्ट
दुमका, झारखंड।

Rohit kumar Ambasta
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