होली का त्योंहार / Holi ka Tyohar
0*होली का त्योंहार*
होली का है यह खेल निराला।
खेल रहा है हर नर और बाला।
सबने खुद को प्रेम रंग में ढाला।
त्योंहार मना रहे है रंगों वाला।
आओ सब साली और साला।
पीके सब भांग का एक प्याला।
लगा कर के रंग कोई आला।
सब को बनाये सकल से काला।
राम की बहन रहीम की खाला।
विभाजन का नही है नाला।
एक दूसारे पर रंग जो डाला।
समां बन गया है मतवाला।
बजा कर चंग गाकर झाला।
फेंक कर नफरत का भाला।
दिया सब ने रंगों का हवाला।
खुल गया किस्मत का ताला।
*मनोज कुमार पुरोहित*
*अलीपुरद्वार (पश्चिम बंगाल)*