कौन कहता, कि मैं रंग नहीं खेलता? ख्वाहिशें नहीं रंग लगाने की, ख्वाहिशें है आपके रंगों में रंगे रह जाने की। जी नहीं करता कभी रंग बदलने की।। आपके रंगों ने हर रंग को कर दिया है फीका। मैं तो हमेशा लगाए हूं फिरता। आप तो र
होली की खुशियाँ गाती हम बच्चों की टोली /नाचो गाओ आई होली करती हंसी मज़ाक ठिठोली /गालों पर् रंगती रंगोली हम हँसोड़ बच्चोंकी टोली /दागे पिचकारी से गोली सराबोर करदे तन मन को/हँस हँस गले मिले सबको ऐसी बैसी बातें भूलें /ग
शांतिदूत बन कर आ जाएँ , होली के हुरियारे सब | जग में भाई-चारा लायें , होली के हुरियारे सब || घृणा बैर भाव जल जाए , होली के अंगारों में | वसुधा को परिवार बनाएं , होली के हुरियारे सब || होली की गुझिया को छूकर , मीठी मीठी चलें ह
19 -Mar-2019 pravin tiwari Holi Poems 0 Comments 724 Views
गीत फागुन के गाए हमजोली, आओ रे कन्हाई संग खेलें आज होली... भीगे मोरी चोली भीगे रे चुनरिया, रंग दो न तुम मुझे आज ऐसे सांवरिया... रंग लीए कबसे बैठी है राधा रानी, आओ रे कन्हाई संग खेलें आज होली... गीत फागुन के....... तुमसे तो मेर
14 -Mar-2019 Naren Kaushik Holi Poems 0 Comments 549 Views
आओ मनाऐ रंगो का त्यौहार यो होली, खुशियो की लाया भर के यो झोली -2 लेकिन जानलो क्यो हैं मनाते त्यौहार यो होली जाने क्यो कहते हमे सब मूर्ख अज्ञानी प्रकृति के उपास्क पूर्वज हमारे थे विज्ञानी कौन बताये होलिका दहन का मत