06 -Mar-2022 Megha Raghuwanshi Holi Poems 0 Comments 51 Views
दिखावा नहीं कर सकती मैं किसी चीज का अगर प्यार तो प्यार, नफरत तो नफरत का इजहार अपने आप हो जाता है अगर प्यार तो इजहार की हिम्मत भी रखती हूं अगर नफरत है तो वो मेरी नफरत भी छिपी नहीं रह सकती दुनिया की तरह दो चेहरे मैं नह
रसभरी तेरे अंग-अंग मद भरे, पिया मोहे प्रीति में भीगो रंग ले। रंग मोहे लाल-लाल रंग भरो गुलाल, मोहे फागुन की फुहार रंग ले।। आया फागुन रे होवे मतवाला जिया, रंग रंगो कमाल, रंग रंगो गुलाल। भरो रे अंग-अंग तेरे रस जालीमवा ,
मनहरण घनाक्षरी "होली के रंग" (1) होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम, मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है। हाथ उठा आँख मींच, जोगिया की तान खींच, मुख से अजीब कोई, स्वाँग को बनात है। रंगों में हैं सराबोर, हुड़दंग पुरजोर, शिव के ग
होली आई होली आई, प्यार भरे रंगो का त्यौहार लाई । होली आई होली, सबके रंगहीन हृदय मे भरने रंग लाई।। परिवार को एक साथ मिलवाने आई होली, भाई भाई को गले लगवाने आई होली, पुराने नोक-झोंक मिटाने आई होली, सबसे मन मुटाओ मिटाने
नफ़रत को घोलो दोस्ती और प्यार के रंग में, ऐसे तुम मनाना होली, तन से रंग भले ही उतरे, मन से अच्छाई का रंग ना तुम उतरने देना, ऐसे तुम मनाना होली । भेद - भाव ना रहे दरमिया , ना मजहब की हो दीवार ,ऐसे तुम मनाना होली । दिल ना कि