परवाना मदहोश है।
0परवाना मदहोश है खुद ही जल जानें को। चिरागों को इल्जाम ना देना वो है उजाले को।। आज फिर बच्चे भूखे सो गए लोरी सुनकर। ए खुदा पाक रहम कर दो ऐसी जिंदगियों पर।। कड़ी धूप में साया भी साथ छोड़ देता है। बुरे वक्त में कभी-कभ
परवाना मदहोश है खुद ही जल जानें को। चिरागों को इल्जाम ना देना वो है उजाले को।। आज फिर बच्चे भूखे सो गए लोरी सुनकर। ए खुदा पाक रहम कर दो ऐसी जिंदगियों पर।। कड़ी धूप में साया भी साथ छोड़ देता है। बुरे वक्त में कभी-कभ
कुछ भी एक सा ना होता है। कभी अच्छा तो कभी बुरा होता है।। बडी देर से आवाज आ रही है। जाकर देखो बच्चा क्यों रोता है।। कहीं ना कहीं सबका मुकाम होता है। बिन घोंसले का परिंदा ना होता है।। आकीद ना करना उसकी बात का। बुरा इन
कोशिश तो बहुत की सुनने की। पर सुन ना पाए बड़ी दर्दे कहानी है।।1।। कोई नई बात बताओं हमें तुम। यह बात तो बड़े पहले की पुरानी है।।2।। हाथ पीले कर दो बिटिया के। वो तो हो गयी देखो अब सयानी है।।3।। सड़क पे नही लाते यूं झगड
मतलब पे टिके ये लोग किस किसका एहसान चुकाएँगे, पहले पेड़ काट कर ये घर बनाएंगे, फिर दिखावे के लिए के लिए ये उस में चार गमलो में पौधे लगाएंगे, मतलब पे टिके ये लोग किस किसका एहसान चुकाएँगे, काट हिरण वन के, उनके सींघ घर में
मैं त्रस्त हूं नहीं स्वयं की त्रसा से, मैं व्यथित हूं नहीं स्वयं की व्यथा से। व्यथित नर नारी के आंसू बटोरता, रचता हूं नित नया उनकी कृपा से।।
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