पर्दानशीन रहते हैं तो देखेगा कौन.. अलमारी में बंद किताब को पड़ेगा कौन.. जब साझा ही नही करोगे खैरियत अपनी, तो दिल मे छुपे दर्द को समझेगा कौन.. कुछ लम्हे तो निकालो बस खुद के लिए, ओरों के लिए तो कब तक रहोगे मौन.. भारत मत सोच
13 -Dec-2020 Dr. Archana Tirkey Human Being Poems 0 Comments 583 Views
यह सच ही तो है दिल के उद्गम से आँखों के विस्तार तक एक निर्झरिणी प्रवाहित होती रहती कभी खुशी कभी दर्द में भींगी अश्रु - नीर से लबालब भरी परन्तु हैं कुछ इंसान ऐसे भी जिनके पलकों पर रुक कर गुम हो जाती है बहती नदी बूंदे
नमस्ते एहसास अपनेपन का ग्रुप परिवार। मैं सुमित अपनी एक और कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। आशा करता हूं कि आप सभी को ये कविता भी बहुत पसंद आयेगी। कृप्या करके आप सभी अपना प्यार और आशीर्वाद देकर कृतार्थ क
नमस्ते एहसास अपनेपन का ग्रुप परिवार। मैं सुमित अपनी एक और कविता आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। आशा करता हूं कि आप सभी को ये कविता भी बहुत पसंद आयेगी। कृप्या करके आप सभी अपना प्यार और आशीर्वाद देकर कृतार्थ क
ख़ुशी- बचपन की यादों का उपहार है खुशी मिलजुलकर रहने में प्यार है खुशी, डाँट पापा की,माँ का दुलार है खुशी, भाई बहन के संग में त्यौहार है खुशी, प्रियतम की बाहों का हार है खुशी, बच्चों से महकता परिवार है खुशी, दोस्तों की