कहने को तो बहुत कुछ था
0कहने को तो बहुत कुछ था पर अल्फाज़ कम थे लिखने को अहमियत कहा है सबदो की लोग तो गुलाम दिखावे के है दिल से दिल को मिलाना है तोहड़ा तोहड़ा करके अब देश को आगे बढाना है हिन्दू मुस्लिम सीख ईसाई सब से प्यार बढ़ना है इस मुश्
कहने को तो बहुत कुछ था पर अल्फाज़ कम थे लिखने को अहमियत कहा है सबदो की लोग तो गुलाम दिखावे के है दिल से दिल को मिलाना है तोहड़ा तोहड़ा करके अब देश को आगे बढाना है हिन्दू मुस्लिम सीख ईसाई सब से प्यार बढ़ना है इस मुश्
मेरे हिंदू साथियों दीपक जलाना मुस्लिम भाइयों जलाना तुम मोमबत्तियां जिन जालिमों का मकसद है हिंदुस्तान की बदनामियां खुद जलकर राख हो जायेगी उनकी बेबुनियाद शक्तियां जब हम साथ मिलकर जलाएंगे एकता और अखंडता की ज्य
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे गिरजाघर लगे ताले पंडित मुल्ला पादरी सबके पड़े खाने के लाले कण कण में बसे भगवान मूरख इंसा ढूंढे कहा हो जिस दिलमें प्यार ओ परोपकार बसता वहां आओ देखे इंसानी भेष में उसका अनोखा रूप जो निभा र
कोरोना चला के स्वच्छता का अभियान, कोरोना को भगाएँगे। कोई न इसका माई बाप, कोरोना को भगाएँगे। बहुतों को इसने बहुत सताया है, कई घरों का दीपक बुझाया है, रुकने न देंगे एक रात, कोरोना को भगाएँगे। तन मन उपवन स्वच्छ रखेंगे
ये जाती पाती के फेर में तू क्यों बंदे पड़ता है, उसने ही (ख़ुदा) जब फर्क किया ना तू क्यों पगले करता है । खोल समझ के पर्दे अपने देख चालें कोई चलता है । हमको लड़वाता आपस मे, अपना उल्लू सीधा करता है । आओ मिल कर खाए कसम ,ना ज
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