जय जवान जय किसान
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देश में एक नेता महान हुआ है,
तन, मन, धन से जो देश के लिए जीया है,
ऐसा लाल बहादुर, जो देशवासियों को समझा,
और देश की नींव को दी एक अमर नारे से पहचान,
जय जवान जय किसान,
एक देश की सरहदों की सदा रक्षा करता,
दूसरा भूख मिटाने सबकी,खेतों में रहता,
धूप, ठंड में दोनों में देश की सेवा है करते,
देशवासियों की भूख और हिफाज़त के लिए,
कर रहे अतुलनीय बलिदान,
जय जवान जय किसान,
प्रधान सेवक है मुंह बंद करके बैठा,
ना जाने किस अभिमान में ऐंठा,
देख नहीं पाया अभी तक, किसानों की शहादत,
घुमा फिरा देश विदेश में, खो कर निज सम्मान,
जय जवान जय किसान,
अब बात हद के पार हुई है,
अन्याय की सीमा खत्म हो गई है,
सरहद से न्याय की गुहार लगी है,
अब प्रधान सेवक मजबूर हुआ है,
न जाने फिर भी किस अहम में चूर हुआ है,
सब कुछ बेच चुके हैं सौदागरों को,
देश और 70 बलिदानियों का सम्मान,
जय जवान जय किसान,
संभल जाओ अभी वक्त दिया है,
खुद को किसानों ने अब सख्त किया है,
ऐसा ना हो संसद में जा बैठे,
लाल किले पर ध्वज कोई और ही चेहके,
छोड़ो ये अपनी झूठी मन की बातें,
करो जनता और किसानों के मन की बात का सम्मान,
जय जवान जय किसान,
आज अन्नदाता मजबूर हुआ है,
फिर भी अपने स्वभाव से मशहूर हुआ है,
आज गिरते पारे में भी, ठंड में हैं वो बैठा,
फिर भी न्यूनतम सम्मान के लिए कहता,
मगर दिल्ली में अब कोई भूखा नही सोता,
किसान रूप में अब बैठा हैं स्वयम भगवान,
जय जवान जय किसान,
अंमबालवी के दिल पर आघात हुआ है,
70 बलिदानों के रूप में मानो वज्रपात हुआ है,
संभल जाओ देश के अधिनायक नेताओं,
ना रहो सच्चाई और कर्तव्यों से अनजान,
जय जवान जय किसान।
