जो खुद से मिला दे
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जो खुद से मिला दे
जो खुद से प्यार करना सिखा दे
जो दुनिया को देखने का नजरिया खूबसूरत बना दे
जो हमे खुद को समझना सिखा दे
जो हमे खुद की अहमियत बता दे
वो होता है प्यार
मेरे लिए तो यही है प्यार की परिभाषा
दूसरो के लिए कुछ अलग भी होगी
जो अपना हैं वो दूर कैसे जाएगा
किसी और से उसके बोलने पर भला कैसी जलन
प्यार है अगर तो मुझे खुदमे बेहतर कर जाएगा
जिसके जाने पर अगर मैं रोई
मेरे लिए तो वो प्यार हो ही नही सकता
मेरे लिए वो कोई आदत होगी
कोई गलतफहमी होगी
भला अपने मन में बसने वाले इंसान से भी कोई दूर हो सकता है
भला प्यार में कोई धोखा, कोई दुख कैसे मिल सकता है
प्यार तो शाश्वत होता है राधा कृष्ण की तरह
ये कभी इसका, कभी उसका, भला प्यार कैसे हो सकता है
सोच है मेरी एक प्यार को लेकर
मैं नही कहती ये सही ही होगी, होने को ये गलत भी हो सकती है
क्योंकि सोच है मेरी यह, प्यार को लेकर। मेघा रघुवंशी