कभी कभी दिल उदास होता है
1जीवन की तंग गलियों में भी वो मेरे पास होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
मुक़द्दर से मिली संतुष्टि का अहसास होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
महफिले भी ज़िन्दा है और उसमें हास् परिहास होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
खुशियों की सौगातें है आते गम का भी नाश होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
चिरागों का धुंधला ही सही पर प्रकाश होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
इल्म है वापस लौट के नहीं आता वो जो लाश होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
वो भी दौर हो जब चारों ओर उत्सव और रास होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
दाता का कर्म है जो हाथ में अन्न का ग्रास होता है
फिर भी ना जाने कभी कभी क्यूँ दिल उदास होता है
क्या पता जिंदगी का यही अंदाज़ कुछ ख़ास होता है
सब कुछ होते हुए भी हर जन कभी कभी उदास होता है ।।