कई बार कुछ सोचता हूँ.....
1कई बार कुछ सोचता हूँ,
कभी सोते सोते कुछ याद कर छन भर के लिए रोता हूँ,
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जो उम्मीद थी कभी,
वो कब का टूट चूका है,
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बना था एक साथी नया,
जिसका साथ कब का कहीं पीछे छूट चूका है,
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हर राह अब तनहा सा लगता है,
हर अपना भी अब पराया सा दिखता है,
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जी चाहता तो है किसी के सीने से लग कर जी भर रो लूँ,
पर कोई भी इस लायक नहीं दिखता है.....
#KP
KP
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