कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे..........
0कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे | How the culture / trend have changed
This poem is written by Piyush Raj 'Paras' and describe how our culture have changed. It is a beautiful expression of changing behavior of our Indian society.
"बदल गईल बा अब ई जमाना रे...."
भोरे-भोरे सुग्गा के आवाज़ नइखे आवअता
अंगना में चिड़िया अब नइखे चहचहावता
अब नइखे पहले जइसन दिन उ सुहाना रे
कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे
दुआरे पे खाट नइखे बाबूजी डॉट नइखे
खुल गईल मॉल जबसे पहले जइसन हाट नइखे
सब के बा अब सिर्फ पैसा कमाना रे
कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे
अमरूद जामुन इमली के पेड़ नइखे दिखअता
आम नारंगी के जूस अब त बोतल में बिकअता
गोरका फैसन के अब त सब बा दीवाना रे
कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे
गांव घर में अब त पीपल के छांव नइखे
पहिले जइसन अब त हमार गांव नइखे
अब नइखे हाथ में केकरो माटी के खिलौना रे
कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे
महंगा महंगा गद्दा में अब सुते ला लोगवा
सब के लाग गईल बा नईका ई रोगवा
नइखे अब केकरो घरे खटिया बिछौना रे
कइसन बदल...........
नइखे मनावअता कोई अब मिल के त्योहार हो
सब त अब भूल रहल बा अपन संस्कृति संस्कार हो
अब नइखे पहले जइसन दिन मस्ताना रे
कइसन बदल गईल बा अब ई जमाना रे..........
.© पियुष राज 'पारस'
दुमका ,झारखंड
M-9771692835
(P91/06 May 19) 4:30pm
Very nice poem.