काश मेरा बचपन वापस आ जाए
0काश मेरा बचपन वापस आ जाए
मैं फिर से इतराऊँ
कभी हँसु कभी नाराज़ हो जाऊँ
सभी ऋतुओं का मजा लूँ मैं
सभी ऋतुओं में मुस्कुराऊँ।
जब आए ग्रीष्म की ऋतु
भरी दोपहरी में तालाब में नहाने जाऊँ
साथ – साथ दादा जी की डाँट भी खाऊं।
बड़े- बड़े पेड़ों में चढ़ कर कच्चे – कच्चे आम को खाऊं
मैं दोपहरी का मजा लेते जाऊँ
जब आए रात्रि का समय
मैं आँगन में सोते-सोते
दादी जी की कहानी सुनता जाऊँ।
बरखा ऋतु में गिरते पानी में मैं खूब भीगता जाऊँ
न करूँ बीमारी का परवाह, मैं गिरते पानी में नहाउँ
जब आए सर्द की ऋतु
मैं परिवार के साथ आग को तापता जाऊँ
मैं ठंड का मजा लेते जाऊँ।
काश मेरा बचपन वापस आ जाए
सभी मित्रों के साथ गुड्डे-गुड़ियों का व्याह मैं कराऊँ
कई खेल मैं खेलते जाऊँ
गुरुजी की डंडे की मार भी खाता जाऊँ
मैं सदा यूँ ही मुस्कुराउँ
मैं सदा यूँ ही मुस्कुराऊँ।।।
राकेश कुमार राठौर
चाम्पा (छत्तीसगढ़)
Dedicated to
बचपन की यादें
Dedication Summary
बचपन की यादों से सम्बंधित