ख़ास
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कुछ लोग मुझे ऐसे मिले
जिसकी मुझे ना थी कभी आश,
जब थी मेरे में भर चुकी पूरी निराशा,
तभी यूं उन्हीं दोस्तों ने मुझे भर दी आशा,
हां जब मै होती कठिन परिस्थितियों में,
याद करते थे वे मुझे वे उस वक्त भी,
जब लगता था अब कि हो गया है सब कुछ ख़तम,
तभी उन्होंने खोज डाला मुझेमे मुझ जैसा ही कोई खास
उनके साथ वक्त ऐसे गुजर जाते
मानो की उनसे है हमारे शादियों के नाते,
जबकि यह थी हमारी दूसरी ही मुलाकात..
बिना बेज्जती के होती नहीं उनसे कुछ भी बात,
नहीं जानती थी कि कुछ लोग अनजाने ही मिलते है,
और अनजाने ही हो जाते है इतने खास...।