लेकर चल मुझे कहीं दूर
0लेकर चल मुझे कहीं,दूर ख्वाब हो अपना सा,दिल की किताब हो अपना।
मैं भी हूं-सनम तू भी है,शहर भी है,इश्क है तो चाहतों का असर भी है।।
तुमने मेरा गुलाब लेकर ऐसे नजर मिलाई,साथियां पानी में प्यास जगाई।
आज तो तुम-आज तो मैं,इश्क है दवा जीने का तो यह जहर भी है।।
पास आने दे जुल्फों को मुझसे उलझ जाने दे,थोरा तो करीब आ भी जा।
इश्क हरजाई है चैन मुझे आता नहीं,यही तो है जीने का लहर भी है।।
तुम जो हरकतों में आओगी ऐसे मेरे करीब होकर,मैं हूं तेरे करीब होकर।
देख लो क्या से क्या होने लगा है,यह इश्क है पिया यह कहर भी है।।
आज तो हद हो गई है,इश्क तो बढने लगा है,नशा तेरा चढने लगा है।
बेचैनियाँ तुमसे मिलने के लिए बढने लगी है,फिर तो तेरा शहर भी है।।
आज तो बातें बाद में होगी,हो जाने दे वो सारी बातें जो दिल ने तमन्ना किए।
मैं तो चाहतों का लौ लिए कहने लगा,मैं तेरा बलमा तेरी बाली उमर भी है।।
मैं मिलन की ख्वाहिशों में हूं,ख्वाब तेरा भी है और मौसम माकूल है।
तू जान भी ले-मैं मान भी लूं,मिलाए आज तो तरपता नजर भी है।।
