चश्मा ।
0सोचता हूं आज अपना चश्मा बनवा ही लू , बस थोड़ा छोटे-मोटे काम निपटा कर आता हूं, फिर मै अपना चश्मा बनवाता हूं, मुन्ने की बड़ी क्लास का खर्चा है, गुड़िया की एडमिशन का भरना परचा है, सारी किताबें, वर्दियां सब लेकर आता हूं म
सोचता हूं आज अपना चश्मा बनवा ही लू , बस थोड़ा छोटे-मोटे काम निपटा कर आता हूं, फिर मै अपना चश्मा बनवाता हूं, मुन्ने की बड़ी क्लास का खर्चा है, गुड़िया की एडमिशन का भरना परचा है, सारी किताबें, वर्दियां सब लेकर आता हूं म
इस इक्कीसवीं सदी में भी मैं जन्मों के प्यार पर भरोसा करने बाली लड़की हूं इस इक्कीसवीं सदी में भी मैं किसी एक की होकर रहने बाली लड़की हूं इस इक्कीसवीं सदी में भी मैं मीरा की तरह इंतजार करने बाली लड़की हूं इस इक्की
रातों को जागते रहना, ये कैसा मोड़ जिंदगी में आता है, इक पल लगता है, कोई छू रहा दिल को, अगले पल सब छू मंतर हो जाता है, हर शाम एक ही लगती है, हर दिन यूं ही बीत जाता है, कभी आते वक्त की चिंता रहती, कभी बीते किस्सो में मन खो जात
मेरी सादगी से कुछ इस कदर इश्क किया उसने कि मुझे जरूरत ही नही रही, उसके सामने सज सवरकर जाने की मेरी मुस्कान इतनी ज्यादा पसंद आई उसे, हर रोज हसाया उसने कभी नहीं सोचा लोग क्या कहेंगे, हर बार बस मेरी खुशी चाही उसने वैसे
यूंँ ही क्यों विचलित हो, परेशान से इतने हो, ये पल तो आते जाते हैं, इसी जीवन में ही सहे जाते हैं ।....(१) दुख से बचा न कोई है, दर्द सभी ने गुजारा है, यूँ दुःख-दर्द तो आते जाते हैं, इसी जीवन में ही सहे जाते हैं ।....(२) हैरान होने
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