TASVEER
0ज़माने की तस्वीर बनाने बैठे थे
इतने रंग देखे कि हैरां हो गए ,
तस्वीर तो बेरंग रह गई
हम ही ज़माना हो गए .
ज़िन्दगी की कहानी लिखने बैठे थे
अफसानों में उलझकर रह गए ,
कागज़ तो कोर रह गया
हम ही अफसाना बन गए .
जीवन के सफ़र पर निकले थे
हर मोड़ पे धोखा खा गए ,
मंजिल को तो पा ना सके
दुनिया से दूर निकल गए .
indra jain
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