लो आ गया बसंत
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आ गया बसंत,
लो आ गया बसंत,
खुशबूओं से भरा,
लो आ गया बसंत.
सरसों का फैला है,
खेतों में पीला रंग,
हरियाली चूनर ओढ़े,
उड़ा रहा प्रकृति में रंग.
टेसू के फूलों से ,
चुरा रहा है रंग.
आँखों में बसाये अपने ,
प्रेम प्रीत के रंग.
जीवन में फैल रहा है,
उल्लास का रंग.
आ गया बसंत,
लो आ गया बसंत.
आज मतवाला हुआ,
नाच रहा है मयूर मन.
कोयल की कूक सा ,
गा उठा है मन.
अमवा की बौर सा,
महक गया है मन.
आ गया बसंत,
लो आ गया बसंत.
हवाओं के गालों में,
मल रहा है प्रेम के रंग.
धरती से फाग खेलने,
फिर आया है बसंत .
होली के रंगों में.
मिले प्रेम के रंग.
जीवन के धूसर रंग,
हो गये खुशरंग.
बज रहे है ढोल ,मंजीरे,
घुँघरू,वंशी के संग.
आ गया बसंत,
लो आ गया बसंत.
सरसों भी खेतों में,
खेल रही है रंग.
गेहूँ से मिल रही,
आज वो है अंग.
रंगों से सराबोर,
हो रहा है मन.
होली का उत्सव,
मना रहा है मन.
जीवन बन गया है,
आज फिर मधुबन.
आ गया बसंत,
लो आ गया बसंत.
राजेश्वरी जोशी,
उत्तराखंड
Dedicated to
बसंत
Dedication Summary
बसंत का मौसम अच्छा लगता है