लो वसंत अब आ गया !
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लो वसंत अब आ गया !
हर ऋतु के तेवर अलग ,अलग अलग पहचान
कोई डंडे भाजती ,कोई फूंके प्राण
पतझर के पतझार ने ,जो बोए विष बीज
हर उपवन हर शाख पर,खीज खीज बस खीज
लो वसंत अब आगया ,फूंक दिए हैं शंख
धरा गगन कण कण खिला,लगे अनूठे पंख
फूलों ने जब हँस कहा ,आओ मेरे पास
लाया इत्र कनौजिया ,छांट छांट कर ख़ास
फूल फूल पर तितलियाँ,लगीं बिछाने जाल
जी भर चूस पराग को ,होगईं मालामाल
फूल- गंध ने भ्रमर की,थामी ज्यों हीं बाह
बंद किवारे कर लिए ,भूल गया निज राह
घोड़े पर असबार हो ,दूल्हा बना वसंत
जीवनमें खुशियाँ मिलीं ,सचमुच उसे अनंत
Dedicated to
सभी प्रक्रति प्रेमियों को
Dedication Summary
वसंत के आगमन की खुशी से तन मन पुलकित हो जाएगा