सौंदर्य प्रियतमा की
0सुब्ह लिखूं, शाम लिखूं जी चाहता हैं बेआराम लिखूं तेरे सर से पांव तक तुझे पूरी क़ायनात लिखूं मद्धम- मद्धम पग वाली हिरणी सी तेरी चाल लिखूं तेरे गोरे गोरे पांव में छनकती पायल की झंकार लिखूं पतली सी कमर पर तेरे करघनी क
सुब्ह लिखूं, शाम लिखूं जी चाहता हैं बेआराम लिखूं तेरे सर से पांव तक तुझे पूरी क़ायनात लिखूं मद्धम- मद्धम पग वाली हिरणी सी तेरी चाल लिखूं तेरे गोरे गोरे पांव में छनकती पायल की झंकार लिखूं पतली सी कमर पर तेरे करघनी क
बड़े अच्छे हो आप, दिल हमारा रख लेते हो। बेपन्हा मोहब्बत के बदले, तरस खाकर हमसे बात कर लेते हो।। कभी उदास चेहरा हमारा , आपसे देखा नही जाता । मैं आपके ख्यालों में हू, कई बार आता - जाता ।। परवाह नहीं कुछ भी हमारी, बस थोड़
जो कोई आम से खास हुए जा रहा है दिल को कोई और अच्छा लगे जा रहा है शायद सच कहते हैं लोग बेहतर लोग मिलते हैं तुम्हे भी और मुझे भी जो दिल में किसी और के लिए जज़्बात आए जा रहे हैं जो दिल को एक मौका और देने का मन हुए जा रहा है
हम ताक में थे उनकी हां के, पर वो किसी और के हो गए, जफाएं करते रहे हम उनसे, जागकर, न जाने वो किस की आगोश मे सो गए, शरीक-ए-ग़म समझा था जिसे मैंने, वो दिल पर नश्तर चुभो गए, बड़ा जुनून था कभी उनको, हमसे मिलने का, ख़ुद छोड़ के भी
जो खुद से भरा हो, हमसफर ऐसा मिल जाएं तो क्या बात है जिसे सच में खुशियां हमारी चाहिए फर्क ना पड़ें, हम साथ हों ना हो ऐसा शख्स मिल जाएं तो क्या बात है और असल में प्यार तो यही है। मेघा रघुवंशी
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